17 July 2025
Aajtak.in
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सभी अस्पतालों में शव का पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है. यह सिर्फ जिला स्तर के अस्पतालों में ही होता है या फिर जिलास्तर पर अलग से एक पोस्टमार्टम हाउस होता है.
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वहीं बड़े शहरों में कुछ सरकारी मेडिकल कॉलेजों या रिसर्च इंस्टीच्यूट में भी पोस्टमार्टम किया जाता है.
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बड़े अस्पतालों, पोस्टमार्टम हाउस या मेडिकल इंस्टीच्यूट्स में पोस्टमार्टम करने वाले लोगों की अलग से नियुक्ति होती है.
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बिहार स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मी के अनुसार पोस्टमार्टम करने वाले चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारी होते हैं. इनकी सैलरी सरकारी पे स्केल के अनुसार 40 से 45 हजार रुपये तक होती है.
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वैसे कई जिला अस्पतालों में इस पद पर आदमी नहीं होने की वजह से कॉन्ट्रैक्ट पर भी कर्मी रखे जाते हैं. इनकी सैलरी 15-18 हजार रुपये होती है.
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कई जगह पोस्टमार्टम के लिए न तो स्थायी कर्मी होते हैं और न ही कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ. ऐसे में 800 से 1000 रुपये डेली वेजेज पर फ्रीलॉन्स स्टाफ से भी काम लिया जाता है.
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पोस्टमार्टम के दौरान एक डॉक्टर, एक क्लर्क या तृतीय श्रेणी के स्टाफ और शव की चीर-फाड़ करने वाला एक चतुर्थवर्गीय स्टाफ मौजूद रहते हैं.
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शव की चीर-फाड़ करने वाला कर्मी डॉक्टर को बॉडी को खोलकर अलग-अलग अंगों को दिखाता है.
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फिर डॉक्टर उसे एग्जामिन कर उसकी रिपोर्ट बनाते हैं. वहां मौजूद क्लर्क रिपोर्ट लिखने में डॉक्टर की मदद करता है.
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