12 Sep 2024
हाईवे या एक्सप्रेस पर सफर करते हुए हम सभी टोल टैक्स देते हैं. किसी हाईवे पर कम टोल लगता है तो किसी पर ज्यादा.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये कैसे तय किया जाता है कि कितना टोल लेना है? आइए जानते हैं कि टोल का अमाउंट कैसे तय किया जाता है.
टोल की राशि इस पर निर्भर करती है कि सड़क के निर्माण पर कितना खर्च हुआ है और सड़क की लंबाई कितनी है. इसके अलावा, टोल टैक्स तय करने में कुछ अन्य महत्वपूर्ण कारक भी भूमिका निभाते हैं.
अलग-अलग गाड़ियों के लिए अलग-अलग टोल टैक्स होता है. ये गाड़ी के आकार और वजन के मुताबिक़ तय होता है. मतलब बस/ट्रक का टोल टैक्स कार के टोल टैक्स से ज़्यादा होता है.
टोल इस पर भी निर्भर करता है कि गाड़ी किस काम के लिए इस्तेमाल होती है. यानी गाड़ी प्राइवेट है या कमर्शियल.
उदाहरण के लिए एक ही गाड़ी पर लगने वाला टोल प्राइवेट या कमर्शियल के आधार पर अलग-अलग हो सकता है. आम तौर पर कमर्शियल गाड़ी का टोल टैक्स प्राइवेट गाड़ी से ज्यादा होता है.
टोल टैक्स कितना होगा ये भारी वाहनों से सड़क को हुए नुकसान को ध्यान में रख कर भी लगाया जाता है.
इस वजह से पैदल यात्री, दुपहिया वाहनों जैसे की बाइक, स्कूटर को टोल टैक्स से छूट दी जाती है. हालांकि कुछ स्टेट एक्सप्रेसवे पर दोपहिया वालों से भी टोल लिया जाता है.
टोल टैक्स समय के साथ घटता जाता है. मतलब जब रोड नया-नया बनता है तब टोल टैक्स से उस सड़क को बनाने की लागत वसूली जाती है.
जब लागत पूरी तरह से वसूल कर ली जाती है, तब टैक्स को 40 प्रतिशत घटा दिया जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाक़ी का टैक्स सड़कों के रखरखाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है.