11 Jan 2025
पानी से बिजली बनाने की प्रक्रिया को जलविद्युत उत्पादन (Hydroelectric Power Generation) कहते हैं. यह एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है जो पानी की गतिज (kinetic) और स्थितिज (potential) ऊर्जा का उपयोग करता है.
पानी सी बिजली बनाने के लिए बांध, पनस्टॉक, टरबाइन, जनरेटर, ट्रांसफॉर्मर और आउटलेट की जरूरत होती है. आइए, इसके चरणबद्ध इस्तेमाल को समझते हैं जिससे पानी से बिजली बनती है.
सबसे पहले नदी, झील या जलाशय का चयन किया जाता है, जहां पानी की धारा को रोकने के लिए बांध बनाया जा सके. बांध के पानी को ऊंचाई पर इकट्ठा कर उसकी स्थितिज ऊर्जा (potential energy) को बढ़ाता है.
बांध के पीछे इकट्ठा पानी टरबाइन तक पहुंचाने के लिए एक पाइपलाइन बनाई जाती है. जैसे ही पानी को पाइपलाइन में छोड़ा जाता है, यह तेज गति से नीचे की ओर गिरता है.
गिरने के दौरान पानी की स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा (kinetic energy) में बदल जाती है.
पानी की तेज गति टरबाइन के ब्लेड्स (blades) को घुमाती है. टरबाइन पानी की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा (mechanical energy) में बदलता है. टरबाइन का आकार और प्रकार पानी के प्रवाह और दबाव पर निर्भर करता है.
टरबाइन एक शाफ्ट (shaft) के माध्यम से जनरेटर से जुड़ी होती है. जैसे ही टरबाइन घूमती है, जनरेटर के अंदर चुंबक और तार का कॉइल घूमने लगता है.
इस प्रक्रिया से विद्युत चुंबकीय प्रेरण (electromagnetic induction) होती है, जिससे विद्युत धारा उत्पन्न होती है और इसे बिजली के रूप में उपयोग की जाती है.
जनरेटर से उत्पन्न बिजली आमतौर पर कम वोल्टेज वाली होती है. इसे ट्रांसफॉर्मर के माध्यम से हाई वोल्टेज में बदला जाता है ताकि इसे लंबी दूरी तक ट्रांसमिशन लाइनों से आसानी से भेजा जा सके.
इसके बाद बिजली को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है, जहां यह घरेलू, औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार होती है.
उदाहरण के तौर पर भाखड़ा नांगल डैम (भारत) सतलुज नदी पर स्थित, भारत के प्रमुख जलविद्युत संयंत्रों में से एक है.
All Photos Credit: AI जनरेटेड