08 Oct 2024
सेना के जवान बुलेट प्रूफ जैकेट पहनते हैं, इस जैकेट को पहनने से गोली इंसान के शरीर में नहीं लगती है.
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बंदूक की गोली से बचने के लिए इस जैकेट को पहना जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर ये जैकेट किस चीज से बनी होती है.
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बुलेट प्रूफ जैकेट में ऐसा कौन-सा मैटेरियल होता है, जो स्पीड से आ रही गोल को भी रोक देती है. आइए जानते हैं यह जैकेट कैसे बनाई जाती है.
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शुरुआत में बुलेट प्रूफ जैकेट अलग-अलग धातुओं की कई परतें जोड़कर बनाई जाती है लेकिन यह तरीका इतना कारगार नहीं थी.
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दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान फ्लेक जैकेट बनाई गई, इसमें बैलिस्टिक नाइलॉन फाइबर का इस्तेमाल होता था, लेकिन ये काफी भारी होती थी जिससे इसके इस्तेमाल में खासी दिक्कतें आईं.
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साल 1960 में केवलर फाइबर (Kevlar fiber) की खोज हुई बस इसके बाद से ही वर्तमान बुलेटप्रूफ जैकेट का अस्तित्व सामने आया जिसके बाद से इसमें सुधार जारी है.
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बुलेटप्रूफ जैकेट में इस्तेमाल किये जाने वाले सबसे प्रसिद्ध है पदार्थ का नाम केवलर है जो कि एक पैरा- रैमिड सिंथेटिक फाइबर होता है.
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केवलर नामक प्लास्टिक अपनी क्रिस्टलीय प्रकृति के कारण काफी कठोर होता है. यह स्टील से लगभग पांच गुना मजबूत होता है.
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इसकी एक परत की मोटाई बहुत ही कम होती है. कई परतों को मिलाकर जैकेट की मोटाई निर्धारित की जाती है. बड़ी गोली को रोकने के लिए ज्यादा परतों वाली जैकेट की आवश्यकता होती है.
ये जैकेट दो लेयर्स में बनती है, सबसे ऊपर सेरेमिक लेयर होती है, जिसके नीचे बैलिस्टिक लेयर लगाई जाती है.
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जब गोली बुलेट प्रूफ जैकेट से टकराती है तो सबसे पहले सैरेमिक लेयर पर पड़ती है, ये लेयर इतनी मजबूत होती है कि इससे टकराते ही गोली का आगे वाला सिरा टूट जाता है.
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बैलिस्टिक लेयर इस एनर्जी को सोख लेती है इससे जैकेट पहने हुए व्यक्ति बच जाते हैं या कम से कम नुकसान होता है.
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