MP: उस किले का इतिहास, जहां आज भी सोना निकालने में जुटे लोग!

07 March 2025

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से करीब 14 मील दूर स्थित ऐतिहासिक असीरगढ़ किला एक बार फिर चर्चा में है. इस किले के पास खंडवा रोड के खेतों में सोने के सिक्कों की अफवाह ने एक बार फिर हलचल मचा दी है.

Photo Credit: burhanpur.nic.in

सोशल मीडिया पर एक वीडिया काफी वायरल हो रहा है जिसमें सैकड़ों लोग रात के अंधेरे में खुदाई कर रहे हैं. दावा है कि यहां मुगलकालीन सोने के सिक्के मिल रहे हैं, लेकिन पुलिस इसे केवल अफवाह बता रही है.

Photo Credit: Viral Video Screenshot

असीरगढ़ किला अपने रहस्यमयी इतिहास, वास्तुकला और रणनीतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है और आज भी एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है.

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इस किले में एक मस्जिद, शिव मंदिर और एक महल है. 3 भागों में विकसित इस किले के पहले भाग को “असिर्गगढ़”,  दूसरे को “कमगरगढ़” और त्रिभुज भाग को “मलयगढ़” कहा जाता है.

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असीरगढ़ किला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित है और इसे "दक्षिण का द्वार" कहा जाता है. यह किला सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित है और इसका ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है.

'दक्षिण का द्वार'

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असीरगढ़ किले का निर्माण 9वीं-10वीं शताब्दी में माना जाता है. यह किला अहीर राजा असीराज द्वारा बनाया गया था, जिनके नाम पर इसका नाम असीरगढ़ पड़ा.

असीरगढ़ किले का इतिहास

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1600 ई. में मुगल सम्राट अकबर ने इस किले पर आक्रमण किया और इसे जीत लिया. मुगलों के बाद यह किला मराठों के अधीन आया और अंततः 1819 में अंग्रेजों के कब्जे में चला गया.

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असीरगढ़ किला कई ऐतिहासिक रहस्यों और खजाने से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि जब अकबर ने इस किले पर कब्जा किया, तो उसे यहां भारी मात्रा में सोने और चांदी के सिक्के मिले थे.

असीरगढ़ किला और सोने का संबंध

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वहीं स्थानीय लोग आज भी मानते हैं कि इस किले के अंदर अभी भी अज्ञात सुरंगों और तहखानों में सोने के सिक्के छिपे हो सकते हैं. कहा जाता है कि अंग्रेजों ने भी इस किले में कई खुदाइयां करवाईं, लेकिन यह साफ नहीं है कि उन्हें कोई खजाना मिला या नहीं.

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