भारतीय ज्यूडिशियल सिस्टम में जज की सबसे अहम भूमिका होती है लेकिन आपने मजिस्ट्रेट का नाम भी सुना होगा. क्या आप इन दोनों में फर्क जानते हैं?
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लोग इन दोनों पदनामों को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं. आइये इन दोनों के बीच का अंतर जानें.
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जज एक एंग्लो फ्रेंच शब्द जुगर से आया है. इसका अर्थ किसी विषय पर राय बनाना है. मजिस्ट्रेट शब्द फ्रांसीसी भाषा से निकला है. इसका अर्थ एक सिविल ऑफिसर से है.
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देश में जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति और राज्यपालों द्वारा की जाती है. अगर आप जज बनना चाहते हैं तो आपके पास लॉ की डिग्री का होना जरूरी है. जज का अधिकार क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर होता है.
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वहीं, मजिस्ट्रेट की नियुक्ति मजिस्ट्रेट और हाई कोर्ट द्वारा की जाती है. मजिस्ट्रेट का अधिकार क्षेत्र राज्य स्तर तक सीमित होता है.
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जज के पास ये अधिकार होता है कि वह किसी दोषी व्यक्ति को मौत की सजा दे सकता है. इन सब के अलावा जज ऐसे मामलों को संभालता है, जो काफी जटिल होते हैं.
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जबकि मजिस्ट्रेट के पास किसी दोषी व्यक्ति को मौत की सजा देने का अधिकार नहीं होता है. मजिस्ट्रेट छोटे-मोटे मामलों को देखता है.
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