CFL बिजली कैसे बचाता है? क्या है इसके पीछे का साइंस 

By Aajtak.in

04  April 2023

आज से 144 साल पहले सन् 1879 में महान साइंटिस्ट थॉमस एडिसन ने बल्ब का आविष्कार किया था.

आज रोशनी के लिए बल्ब के अलावा सीएफएल (CFL) और एलईडी (LED) लाइट का भी इस्तेमाल किया जाता है.

समय के साथ-साथ बल्ब के प्रकार और डिजाइन में कई बदलाव किए गए हैं. धीरे-धीरे करके पीले वाले बल्ब (Incandescent light bulb ) का इस्तेमाल खत्म होता जा रहा है अब घरों में लोग एक सीएफएल या एलईडी लगाना प्रिफर कर रहे हैं.

कहा जाता है कि बल्ब के मुकाबले सीएफअल और एलीईडी में बिजली की खपत कम होती है जिस कारण बिजली का बिल भी काफी बचता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण क्या है.

तीनों ही बल्ब की बिजली खपत में काफी फर्क है क्योंकि बल्ब, सीएफअल और एलईडी के बनने और रोशनी देने का प्रोसेस एक दूसरे से अलग है. आइए पहले बात करते हैं एलईडी की.

LED में डायोड का इस्तेमाल किया जाता है यानी कि इसमें 1 नेगेविट और 1 पॉजिटिव प्लेट होती है जिसमें एक तरफ होल और दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉन्स होते हैं इनके बीच में खाली जगह छोड़ी जाती है.

जब बिजली इलेक्ट्रॉन्स और होल्स से होकर गुजरती है तो वह आसपास फैलना शुरू हो जाते हैं जिस कारण खाली जगह तेजी से रोशनी आना शुरू हो जाती है.

CFL के अंदर फ्लोरोसेंट की कोटिंग की जाती है. बिजली के इसमें दौड़ने पर वह मर्करी और ऑर्गन से टकारकर यूवी रेज़ पैदा करती है जिससे लाइट जलती है. यूवी रेज़ की वजह से इसमें बिजली की इतनी जरूरत नहीं पड़ती.

Bulb में मौजूद फिलामेंट पर बिजली दौड़ती है. जब तक यह पूरी तरह गर्म नहीं हो जाता है बल्ब नहीं जलता. इस हिसाब से  इसमें काफी समय लग जाता है जिस कारण बिजली की खपत भी ज्यादा होती है.

सबसे जल्दी और किफायती प्रोसेस एलईडी  का होता है क्योंकि यहां लाइट पैदा करने का आधे से ज्यादा काम इसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन्स कर देते हैं. इसके बाद आती है सीएफएल जिसमें यूवी रेज़ से काम बन जाता है.

दोनों के मुकाबले साधारण बल्ब से बिजली का बिल ज्यादा आता है क्योंकि वह पूरी तरह हीट पर निर्भर करता है. फिलामेंट को अच्छी तरह गर्म करने में ही काफी बिजली लग जाती है.