12 Sep 2024
aajtak.in
क्या आप जानते हैं जब कैंसर के इलाज और जांच के दौरान ट्यूमर या उसके टुकड़े को बाहर निकाला जाता है, तो उसका क्या होता है?
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सबसे पहले इस ट्यूमर या टीश्यू को लैब में जांच के लिए भेजा जाता है. जब भी ये टुकड़ा या शरीर का हिस्सा लैब में जाता है तो उसके बाद उसका फिक्सेशन किया जाता है.
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इसका मतलब है कि सबसे पहले उनके कैंसर लिविंग सेल्स को फॉर्मेलिन के जरिए फिक्स दिया जाता है यानी मार दिया जाता है.
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इसके बाद उन्हें प्रिजर्व कर लिया जाता है ताकि उनका बायोलॉजी चेंज ना हो या वो सड़े नहीं. इसके बाद इनसे पानी निकाल लिया जाता है और वैक्स के बीच रख दिया जाता है.
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इसमें कैंसर के सेल्स वैक्स में फैल जाते हैं. इसके बाद इसके स्लाइस काट-काट कर इसकी जांच की जाती है. इसके बाद बचे हुए टुकड़े को कुछ सालों के लिए रख दिया जाता है.
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ऐसे में अगर किसी को अपने बॉडी से निकाले गए ट्यूमर की फिर से जांच करवानी हो तो वो कुछ वक्त भी इसकी जांच करवा सकता है.
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इसके साथ ही कई बार बायोप्सी से भी बॉडी का एक टुकड़ा निकाला जाता है, ये भी लंबे वक्त तक रखा जाता है. इसकी बाद में जांच करवाई जा सकती है.
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इसके साथ ही अगर किसी मरीज को फिर से कैंसर हो जाता है तो वो फिर से पुराने टुकड़े का टेस्ट करवा कर नई टेक्नोलॉजी की दवाइयां ले सकता है.
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लेकिन, हर लैब के हिसाब से कुछ वक्त बाद इसे डिस्पोज कर दिया जाता है.
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