कॉन्फिडेंस सिर्फ हमारी बातों से नहीं झलकता बल्कि ये हम उस बात को किस तरह कह पा रहे हैं, इससे भी कॉन्फिडेंस का पता चलता है.
आज हम आपको वो बॉडी पोस्चर बता रहे हैं, जो हमारे अंदर कॉन्फिडेंस की कमी को दिखाता है.
कॉन्फिडेंस की कमी में लोग अक्सर अपनी बॉडी का बांध लेते हैं. अपनी बाहों या पैरों को क्रॉस करना, झुकना या किसी तरह से खुद को छोटा कर लेना.
जब हम असुरक्षित महसूस कर रहे होते हैं तो ज्यादा हिलने-डुलने लगते हैं. जैसे- आपने देखा होगा, प्रेसेंटेशन देने में लोग जरूरत से ज्यादा हाथों को हिलाने लगते हैं या फिर अंगूठी घुमाना, चश्मा ठीक करना जैसे काम करना.
आंखों का कॉनटैक्ट कम्यूनिकेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और जब हम आंखों के कनेक्शन से बचते हैं तो ये दूसरों को संकेत दे सकता है कि हम असहज या असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
आपने गौर किया होगा कि जब आप घबराए हुए होते हैं या अपने बारे में अनिश्चित होते हैं तो आप जल्दी-जल्दी बोलने लगते हैं. ये कॉन्फिडेंस की कमी का एक और उदाहरण है.
हाथ भी हमारे बारे में बहुत कुछ कहते हैं. जब हम अनिश्चित या घबराए हुए महसूस करते हैं तो हम अपने हाथ छिपा लेते हैं. कभी अपनी जेब में या कभी अपनी पीठ के पीछे.
ऐसा सबने महसूस किया होगा कि जब हमें दुनिया का भार बहुत अधिक लगता है और ये बात शारीरिक रूप से हम पर बोझ डालती है तो हमारा सिर झुक जाता है, कंधे झुक जाते हैं, और हममें आत्म-विश्वास की कमी झलकती है.
बोलते समय अपना मुंह ढंकना, चाहे वह हाथ से हो या किसी कपड़े से, आत्मविश्वास की कमी दिखाता है. यह ऐसा है जैसे हम अपने शब्दों को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, या हम अपने विचारों को साझा करने के बारे में अनिश्चित हैं.