बाबासाहेब के पास थीं इतनी डिग्रियां, 9 भाषाओं का था ज्ञान

6 Dec 2023

भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आज पुण्यतिथि है. उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था, उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्माण दिवस के रूप में मनाते हैं.

बाबासाहब को मिली उपाधियां

उनका जन्म जिस परिवार में हुआ था, उसे समाज में अछूत माना जाता था. इस वजह से उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था.

डॉ भीमराव अंबेडकर के पास 32 डिग्रियां थी और उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था.

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के मऊ में हुआ था. दापोली और सतारा में उनकी स्कूली शिक्षा हुई थी.

साल 1908 में उन्होंने एलफिन्स्टोन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. अच्छे अंको से पास होने के कारण उनके शिक्षक ने उन्हें 'बुद्ध चरित्र' नाम की किताब भेंट में दी थी.

बाबासाहेब को बड़ौदा के राजा सायाजी राव गायकवाड़ की तरफ से फैलोशिप मिली थी, जिसको पाकर उन्होंने साल 1912 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया था. इसके बाद कुछ समय तक उन्होंने बड़ौदा में नौकरी भी की थी.

भीमराव अंबेडकर को बड़ौदा के राजा से एम.ए. करने के लिए दोबारा फैलोशिप मिली थी, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की थी.

बाबासाहेब साल 1913 से 1917 तक अमेरिका में रहे थे. उस दौरान कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने उन्हें उनकी थीसिस के लिए पीएचडी से सम्मानित किया था. उस थीसिस को बाद में 'ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास' शीर्षक के तहत एक किताब के रूप में प्रकाशित किया गया था. 

भीमराव अंबेडकर इसके बाद साल 1920 में लंदन चले गए और वहां पर उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से Msc और Dsc किया था. वहीं से उन्होंने ग्रेज इन नाम के संस्थान से बार-एट-लॉ की उपाधि के लिए रजिस्टर किया था और बैरिस्टर की डिग्री हासिल की थी.

बाबासाहेब ने साल 1923 में लंदन में रहने के दौरान अपनी थीसिस जिसका शीर्षक था 'रुपये की समस्या' पूरी की थी. इसके लिए उन्हें डीएससी की उपाधि से सम्मानित किया गया था. छात्रवृत्ति की शर्त के अनुसार भारत लौटने के बाद उन्होंने बड़ौदा के राजा के यहां वित्तीय सलाहकार के पद पर काम भी किया था. 

बाबासाहेब को कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एल.एलडी और उस्मानिया विश्वविद्यालय से डी.लिट की उपाधियों से भी सम्मानित किया गया था.

बाबासाहेब ने भारत से जातिप्रथा और छुआ-छूत की कुरीतियों को भी खत्म किया था.  भारत की आजादी के बाद उन्हें कानून मंत्री बनाया गया था.

उन्हें साल 1990 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था.