कदम मिलाकर चलना होगा...युवाओं में जोश-जुनून भर देगी अटल जी की ये कविता

25 Dec 2023

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था. अटल जी ने तीन बार प्रधानमंत्री बनकर देश के लोग खासकर युवाओं के लिए काफी कुछ किया है.

वह एक कवि और साहित्यकार भी थे, अपने जीवन में उन्होंने कारगिल युद्ध समेत कई किताबें लिखी हैं. उनकी कविताएं आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं.

उनकी कविता जिसका शीर्षक 'कदम मिलाकर चलना होगा' है. आज भी युवाओं में जोश और जुनून भर देती है. आइए इस कविता को पढ़ते हैं.

शीर्षक- कदम मिलाकर चलना होगा  बाधाएं आती हैं आएं घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा

हास्य-रुदन में, तूफानों में, अमर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा

उजियारे में, अंधकार में, कल कछार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,  जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को दलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा

सम्मुख फैला अमर ध्‍येय पथ, प्रगति चिरन्तन कैसा इति अथ, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा

  कुश कांटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वञ्चित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुवन, पर-ह‍ति अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा

Credit: Getty Images