आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए चार मठों के बारे में जानिए

21 Jan 2024

हिंदू धर्म एवं ग्रंथों के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का बड़ा योगदान माना जाता है. इन्होंने सनातन परम्परा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में चार शंकराचार्य मठों की स्थापना की थी.

ईसा से पूर्व आठवीं शताब्दी में भारत देश के चार कोने कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड में मठों की स्थापना की थी.

यह सभी मठ और यहां के सन्यासी शंकराचार्यों के नेतृत्व में सनातन परम्परा का प्रचार व प्रसार कर रहे हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.

श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है. श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है. इसके अलावा कर्नाटक में रामचन्द्रपुर मठ भी प्रसिद्ध है.

श्रृंगेरी मठ में इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती, पुरी सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है.

गोवर्द्धन मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. यह उड़ीसा के पुरी में स्थिति है.

गुजरात में द्वारकाधाम में बसे द्वारका मठ को शारदा मठ भी कहा जाता है.

इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'तीर्थ' और 'आश्रम' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है.

ज्योतिर्मठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र रहा है जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी. यह उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में स्थिति है.

ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' और 'सागर' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का का संन्यासी माना जाता है.