21 Feb 2025
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ट्रेन से एक घंटे में 1000 km की दूरी तय करना, यह सपने से कम नहीं है. दुनियाभर में 5वीं जनरेशन के परिवहन पर विचार चल रहा है. अब भारत में भी इस दिशा में कदम बढ़ाया गया है.
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देश का जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान IIT मद्रास ग्लोबल हाइपरलूप प्रतियोगिता (GHC) 2025 आयोजित कर रहा है, जो 21 से 25 फरवरी 2025 तक चलेगी.
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यह एशिया की पहली अंतरराष्ट्रीय हाइपरलूप प्रतियोगिता होगी, जो परिवहन क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है. IIT मद्रास, IITM प्रवर्तक और SAEIndia जीएचसी का संचालन कर रहे हैं.
इसे भारत सरकार के रेल मंत्रालय का भी समर्थन प्राप्त है, जिससे यह प्रतियोगिता और महत्वपूर्ण बन जाती है. हाइपरलूप, परिवहन का पांचवां और सबसे तेज माध्यम होगा, जिसमें ट्रेन वैक्यूम ट्यूब के अंदर चलेगी.
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हाइपरलूप की स्पीड 600-1200 किमी/घंटा तक हो सकती है, जो हवाई यात्रा से भी तेज हो सकती है. क्योंकि भारतीय पैसेंजर प्लेन की एवरेज स्पीड 885 से 933km/h होती है.
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IIT मद्रास का हाईटेक हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक, भारतीय रेलवे, आर्सेलरमित्तल, एलएंडटी और हिंडाल्को के सहयोग से बनाया गया है.
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प्रतियोगिता के प्रमुख इवेंट्स में पॉड डेमोंस्ट्रेशन, हाइपरलूप इनोकेस्ट, और डिजाइनX शामिल होंगे. इसमें प्रतिभागी अपनी हाइपरलूप पॉड्स का प्रदर्शन करेंगे और वास्तविक समस्याओं के समाधान सुझाएंगे.
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IIT मद्रास के स्टूडेंट हेड (हाइपरलूप) प्रणव सिंघल ने कहा, "थाईयूर में 450 मीटर का टेस्ट ट्रैक न केवल IIT मद्रास के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि दुनिया भर के इंजीनियरों और डिजाइनरों के लिए प्रेरणा बनेगा."
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हालांकि हाइपरलूप का विचार नया नहीं है. SpaceX और Tesla के हेड एलन मस्क ने 2013 में एक वाइटपेपर 'हाइपरलूप अल्फा' के जरिए इस तकनीक का विचार दुनिया के सामने रखा था.
एलन मस्क ने इसे कार, विमान, जहाज और ट्रेन के बाद पांचवां यातायात साधन बताया था. उनके शुरुआती डिजाइन का मकसद लोगों को लॉस एंजेलिस से सैन फ्रांसिसको के बीच 610km आधे घंटे में पहुंचाने का था.
उनका उद्देश्य इस यात्रा को हवाई सफर की तुलना में किफायती और सुलभ बनाना था, ताकि लोग तेज, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली का लाभ उठा सकें.