8 May, 2023 By: Business Team

विजय माल्या को ले डूबी ये गलती, इस डील ने तबाह किया किंगफिशर का कारोबार!

'द मैन ऑफ गुड टाइम्स' के नाम से मशहूर विजय माल्या भारत के लिए भगोड़ा हैं. उनपर बैंकों का भारी भरकम कर्ज है.

गो फर्स्ट एयरलाइंस के दिवालिया के कगार पर पहुंचने के बाद विजय माल्या की एयरलाइंस किंगफिशर चर्चा में है.

किंगफिशर एयरलाइंस जिस बुरे दौर से गुजरते हुए बंद हुई थी, कुछ उसी तरह के संकट से एयरलाइन गो-फर्स्ट गुजर रही है.

किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत 2003 में हुई, लेकिन इसका ऑपरेशन साल 2005 में शुरू हुआ था.

किंगफिशर एयरलाइंस लो कॉस्ट में पैसेंजर्स को लग्जरी सफर की सुविधा उपलब्ध करा रही थी.

एयरलाइंस के कारोबार को बड़ा करने के लिए विजय माल्या ने साल 2007 में एयर डेक्कन एयरलाइन को खरीद लिया.

लेकिन कहा जाता है कि माल्या एयर डेक्कन को खरीदने के बाद उसकी स्ट्रेटजी समझ नहीं पाए और यहीं बड़ी गलती कर बैठे.

एयर डेक्कन के मर्जर के साथ 71 एयरक्राफ्ट की फ्लीट और उसके 30 फीसदी पैसेंजर भी उसके हिस्से आए.

विजय माल्या को उम्मीद थी कि एयर डेक्कन के पैसेंजर किंगफिशर एयरलाइंस की तरफ यात्रा के लिए रुख करेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

एयर डेक्कन के पैसेंजर्स किंगफिशर की बजाए दूसरी लो कॉस्ट एयरलाइंस की तरफ बढ़ते चले गए और माल्या की रणनीति फेल हो गई.

साल 2011 से किंगफिशर के पतन की शुरुआत हो गई. कंपनी घाटे में आ गई और तीन साल में उसे 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया.

स्थिति ऐसी बिगड़ी की कर्मचारियों की सैलरी रोक दी गई. कर्ज का बोझ हावी होने लगा और माल्या मार्केट से फंड जुटाने में असफल होने लगे.

साल 2012 में किंगफिशर का लाइसेंस रद्द हो गया. फरवरी 2013 में इंटरनेशनल फ्लाइंग राइट्स भी सस्पेंड कर दिए गए.

साल 2014 में किंगफिशर का 9000 करोड़ रुयये का लोन नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बन गया. कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया.

साल 2016 में SBI समेत 13 बैंकों का 9000 करोड़ रुपये का लोन लेकर विजय माल्या देश छोड़कर इंग्लैंड भाग गए. तब से प्रत्यार्पण को लेकर मामले चल रहे हैं.