23 June 2025
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हाइवे हो या सिटी राइड, बाइक ड्राइविंग एक बड़ा टास्क बन चुका है. देश में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में लगभग 44% हिस्सा दोपहिया वाहन चालकों का होता है.
सड़क सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने नए नियम का ऐलान किया है.
मंत्रालय ने घोषणा की है कि, जनवरी 2026 से भारत में बेचे जाने वाले सभी नए दोपहिया वाहनों में इंजन क्षमता की परवाह किए बिना ABS होना चाहिए.
इसके अलावा, डीलरों के लिए हर नए वाहन के साथ दो BIS-प्रमाणित हेलमेट देना अनिवार्य होगा. एक सवार के लिए और दूसरा पीछे बैठने वाले यात्री के लिए.
इस नए आदेश के बाद जनवरी 2026 से देश में बनने वाले सभी दोपहिया वाहनों (मोटरसाइकिल या स्कूटर) में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) देना अनिवार्य होगा.
ख़ास बात ये है कि ये फीचर अब तक महंगी और प्रीमियम बाइक्स-स्कूटर में दिया जाता था. लेकिन अब ये फीचर सभी टू-व्हीलर्स में दिया जाएगा, चाहे वो एंट्री लेवल मॉडल ही क्यों न हो.
ABS को लागू करने के लिए इंजन कैपेसिटी में भी कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. ये सभी इंजन कैपेसिटी वाले टू-व्हीलर में मिलेगा.
मौजूदा नियम के अनुसार, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) अब तक केवल 125 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों के लिए ही अनिवार्य है.
इसलिए देश में बेचे जाने वाले लगभग 45% से ज्यादा मोटरसाइकिलों और स्कूटरों में यह फीचर नहीं मिलता है. जो कि बड़ी आबादी द्वारा चलाया जाता है.
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम एक सेफ्टी फीचर है जो ड्राइविंग के दौरान अचानक ब्रेक लगाते समय टायर को लॉक होने से बचाता है. जिससे दुर्घटना की संभावना कम होती है.
ABS में कुछ खास सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU) लगे होते हैं, जो टायर की स्पीड पर लगातार नजर रखते हैं.
जैसे ब्रेक अप्लाई होता है, सेंसर टायर की स्पीड को मॉनिटर करते हैं और टायर को पूरी तरह से लॉक होने से बचाते हैं. इससे फिसलने का खतरा नहीं होता है.
ये प्रक्रिया सेकंड से भी कम समय में होती है. इसलिए वाहन चालक को इसका पता भी नहीं चलता है और बाइक को पर्याप्त संतुलन मिलता है.
ABS दो तरह के होते हैं. एक है सिंगल चैनल एबीएस जो केवल आगे के पहिए में मिलता है. दूसरा है डुअल-चैनल एबीएस, जो दोनों पहियों में मिलता है.