मिल गया अहमदाबाद में क्रैश हुए प्लेन का Black Box! जानें कैसे पता चलेगी हादसे की वजह

13 June 2025

BY: Ashwin Satyadev

बीते कल अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान AI-171 क्रैश हो गया. इस विमान हादसे में अब तक 265 लोगों की मौत हो गई.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश

विमान टेक-ऑफ होने के कुछ देर बाद ही दुर्घटना का शिकार हो गया. जिसमें विमान में सवार 242 यात्रियों और क्रू में से सिर्फ 1 व्यक्ति ही जीवित बच पाया है.

सिर्फ 1 की बची जान

हालांकि अभी इस हादसे के कारणों का पता नहीं चल सका है. लेकिन सूत्रों के हवाले से ख़बर मिली है मिली है प्लेन का ब्लैक बॉक्स मिल गया है. जिससे हादसे की वजह पता करने में मदद मिलेगी.

Black Box की तलाश

तो आइये जानें किसी भी विमान दुर्घटना की जांच में ब्लैक बॉक्स क्यों इतना जरूरी होता है? इसकी क्या भूमिका होती है. पढ़े पूरी डिटेल- 

क्यों जरूरी है ब्लैक बॉक्स

'ब्लैक बॉक्स' एक ऐसा डिवाइस है जो किसी भी विमान (एयरक्राफ्ट) में उड़ान के दौरान होने वाली हर महत्वपूर्ण गतिविधि और बातचीत को रिकॉर्ड करता है.

ब्लैक बॉक्स का काम

हालाँकि इसका नाम 'ब्लैक बॉक्स' जरूर है, लेकिन असल में इसका रंग नारंगी (Orange) होता है ताकि दुर्घटना के बाद मलबे में आसानी से ढूंढा जा सके.

नारंगी रंग का होता है ब्लैक बॉक्स

इस डिवाइस के दो हिस्से होते हैं जिनका नाम फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) होता है. ये दोनों मिलकर ही ब्लैक बॉक्स कहलाते हैं.

दो हिस्सो में होता है ब्लैक बॉक्स

यह विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति, तापमान, फ्लैप्स की पोजीशन जैसे तकनीकी डाटा रिकॉर्ड करता है. इसमें लगभग 25 घंटे तक का डेटा सुरक्षित रहता है.

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR):

यह विमान के कॉकपिट में पायलट और को-पायलट के बीच हुई बातचीत, अलार्म, इंजन की आवाज इत्यादि को रिकॉर्ड करता है. यह लगभग 2 घंटे की ऑडियो रिकॉर्डिंग सहेज कर रखता है.

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR):

किसी विमान दुर्घटना (Plane Crash) की जांच में ब्लैक बॉक्स की भूमिका सबसे अहम होती है. हादसे के बाद सबसे पहले जांच एजेंसियां मलबे से ब्लैक बॉक्स की खोज करती हैं. 

ब्लैक-बॉक्स की भूमिका

इसका डेटा और ऑडियो रिकॉर्डिंग यह समझने में मदद करते हैं कि दुर्घटना से ठीक पहले विमान में क्या हुआ था, पायलटों ने क्या निर्णय लिए, क्या कोई तकनीकी खराबी थी, या मानवीय गलती तो नहीं हुई.

कैसे मदद करता है ब्लैक-बॉक्स

ब्लैक बॉक्स की मदद से दुर्घटना के सटीक कारण का पता चलता है. इससे सुरक्षा उपायों में सुधार किया जाता है. इसके अरलावा भविष्य में होने वाली हादसों से बचाव के तरीके अपनाए जाते हैं.

सामने आती है एक-एक डिटेल

यह टाइटेनियम या स्टील से बना होता है. इसे अत्यधिक तापमान (1100°C तक) और गहरे पानी में दबाव सहने लायक बनाया जाता है. यह 30 दिन तक पानी के अंदर से सिग्नल भेज सकता है.

ब्लैक बॉक्स की मजबूती

ब्लैक बॉक्स में एक अंडरवॉटर लोकेटर बीकन (ULB) लगा होता है, जो पानी के भीतर 37.5 kHz की फ्रीक्वेंसी पर बीप करता है. यह बीप सिग्नल गोताखोरों या खोजी यंत्रों को उसे खोजने में मदद करता है.

अगर समुद्र में गिर जाए तो?

ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद उसे लैब में ले जाया जाता है, जहां डेटा को एक विशेष सॉफ़्टवेयर से रीड किया जाता है. इस दौरान सभी रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया जाता है.

ब्लैक बॉक्स के डेटा की जांच

पूरी उड़ान के आखिरी पलों को रिकंस्ट्रक्ट किया जाता है. ब्लैक बॉक्स एक ऐसा मूक गवाह होता है जो किसी भी विमान दुर्घटना की सच्चाई उजागर करता है.

आखिरी पलों का रिकंस्ट्रक्शन

विशेषज्ञों द्वारा लैब में विशेष सॉफ़्टवेयर द्वारा उड़ान के आखिरी पल दोहराए जाने और रिकॉर्डिंग को सुनने के बाद रिपोर्ट बनाई जाती है. जो कारणों को पता लगाने में मदद करता है.

फिर बनती है रिपोर्ट