3 Mar 2025
Credit: META
जादो पटिया कला एक प्राचीन और विशिष्ट चित्रकला शैली है, जो मुख्यतः पूर्वी भारत के झारखंड राज्य से उत्पन्न हुई है.
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इस कला का नाम इस तथ्य पर आधारित है कि यह चित्रकला जादुई और रहस्यमय प्रतीत होती है, जिससे लोग आकर्षित होते हैं.
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जादो पटिया कला का इतिहास सदियों पुराना है और इसने क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है.
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इस कला का प्रमुख केंद्र गोड्डा और दुमका जिला है, जहां संताली और मुंडा जनजाति के लोग इस कला को पीढ़ियों से संजोते आ रहे हैं
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जादो पटिया में प्राकृतिक रंगों और पारंपरिक औजारों का उपयोग किया जाता है. इस कला में सामान्यतः पेड़ की छाल, मिट्टी, लकड़ी की कोयले और धातु के ऑक्साइड का प्रयोग होता है.
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कलाकार बारीकी से काम करते हैं और उनके चित्र प्राकृतिक घटनाओं, धार्मिक मान्यताओं, और पारंपरिक कहानियों पर आधारित होते हैं.
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जादो पटिया कला की विशेषता इसके विस्तृत और जटिल चित्रण में निहित है. इस कला में आमतौर पर प्रकृति, पौराणिक कथाओं, और जनजातीय जीवन के दृश्य शामिल होते हैं.
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जादो पटिया कला की विशेषता इसके विस्तृत और जटिल चित्रण में निहित है. इस कला में आमतौर पर प्रकृति, पौराणिक कथाओं, और जनजातीय जीवन के दृश्य शामिल होते हैं.
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हाल के वर्षों में, जादू पटिया कला ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान प्राप्त की है. कई कला प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इस कला को प्रदर्शित किया जाता है, जिससे यह कला और भी लोकप्रिय हो रही है.
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स्थानीय सरकार और एनजीओ इस कला को प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि इसे संरक्षित किया जा सके और नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके. इस तरह, जादो पटिया कला भारतीय लोक कला की धरोहर को जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
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