इस गांव के नाम पर रखा गया कुचिपुड़ी डांस का नाम, जानें इतिहास

6 April 2025

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भारत के मुख्य 11 शास्त्रीय नृत्यों में से कुचिपुड़ी नृत्य एक है. लगभग 20वीं शताब्दी के बाद से इस नृत्य का प्रचलन चला आ रहा है. 

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कुचिपुड़ी नृत्य आंध्र प्रदेश से संबंधित है. इस नृत्य की प्रमुख नर्तकी यामिनी कृष्णमूर्ति , राधा रेड्डी और स्वप्न सुंदरी है.

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कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश, भारत की प्रसिद्ध नृत्य शैली है. यह पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है.

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इस नृत्य का नाम कृष्णा जिले के दिवि तालुक में स्थित कुचिपुड़ी गांव के ऊपर पड़ा, जहां के रहने वाले ब्राह्मण इस पारंपरिक नृत्य का अभ्यास करते थे.

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इस नृत्य का नाम आंध्र प्रदेश के एक जिले कृष्णा के गांव कुचेलापुरी या कुचेलापुरम के आधार पर रखा गया.

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इस नृत्य को रात के समय मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता था, जब ग्रामीण अपने खेतों के दिन भर के कार्य से फ्री होकर वापस लौटते थे. 

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उस वक्त तेल से जलते हुए दिए के प्रकाश में प्रस्तुत किया जाता था और केवल ब्राह्मण ही इस नृत्य का मंचन करते थे.

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पहले ये नृत्य पुरुषों के द्वारा किया जाता था. लेकिन, 20 वीं शताब्दी के बाद बालासरस्वती और रागिनी देवी ने इस नृत्य को पुनर्जीवित किया और तब से यह नृत्य महिलाओं के बीच में भी लोकप्रिय हो गया.

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नृत्य की शुरुआत पवित्र जल के छिड़काव और अगरबत्ती जलाने से होती है. अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं, विद्या, धन और ऊर्जा की देवी का आह्वान किया जाता है, और प्रदर्शन में उनके कार्य से संबंधित गीतों के साथ पात्रों का परिचय दिया जाता है.

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