प्रकृति है तो मनुष्य है। अगर प्रकृति नहीं है, तो मनुष्य खतरे में है। 

13 July 2025

Credit: META AI

कथकली (Kathakali) भारत के केरल राज्य का एक पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य-नाटक है, जो अपनी रंग-बिरंगी वेशभूषा, भारी मेकअप और नाटकीय प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध है.

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यह नृत्य मुख्य रूप से धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक कहानी खासकर रामायण, महाभारत, और पुराणों पर आधारित होता है.

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कथाकली में कथा मतलब कहानी और कली मतलब प्रदर्शन, जो शब्दों से नहीं एक्सप्रेशन से किया जाता है.

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इस कला की मदद से आंखें, आंखों की मसल्स, गला, लिप्स, बॉडी की मूवमेंट से 24 मुद्रा बनते हैं, जो 9 रस को दर्शाता है.

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कथकली की उत्पत्ति लगभग 17वीं शताब्दी में केरल के दक्षिणी भाग में मानी जाती है.

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इसे राजा कुंथनम मरुथु (Kottarakkara Thampuran) ने विकसित किया, जो एक विद्वान और कलाकार थे.

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कथकली ने पहले से मौजूद नृत्य-शैली कृष्णाट्टम (Krishnanattam) से प्रेरणा ली, जिसे ज़मोरिन राजा द्वारा रचा गया था.

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पहले कथकली पूरी तरह से हिंदू मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान के रूप में प्रस्तुत किया जाता था.

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धीरे-धीरे यह एक नाट्यकला में परिवर्तित हुआ, जिसमें संवाद नहीं होते, बल्कि भाव (अभिनय), संगीत, और हाथ के इशारों (मुद्राओं) के माध्यम से कहानियां कही जाती हैं.

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कथकली में मेकअप चेहरे पर गाढ़ा रंग, सफेद चोखा, लंबी दाढ़ी होती है. रंगों से पात्रों का स्वभाव दर्शाया जाता है (जैसे - हरा रंग = एक्टर, लाल = विलेन)

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वेशभूषा की बात करें तो कलाकार का भव्य और भारी पोशाक होता है.  सिर पर मुकुट, रंगीन स्कर्ट होता है.

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इस कला में अभिनय (अभिनयम्), चेहरे के हाव-भाव (नेत्र-अभिनय), हाथ की मुद्राएं (हस्तमुद्राएं), और बॉडी के एक्सप्रेशन से कहानी कहते हैं

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