कहीं छाता तो कहीं घुमौर, बिहार में इस अनोखे तरीके से मनाई जाती है होली

06 Mar 2025

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भारत में होली का त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

बरसाना की लठमार होली, वृंदावन की फूलों की होली तो सुना होगा आपने. लेकिन, क्या बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में खेली जानें वाली होली जानते  हैं आप?

बिहार में होली को कई तरह से मनाया जाता है. यहां होली को फगुआ के नाम से भी जाना जाता है. होली के अलग-अलग तरीके जानते हैं.

समस्तीपुर के पटोरी प्रखंड के धमौन गांव में बांस की छतरी बनाकर होली खेली जाती है. इन छाते को कागज़ और दूसरे सामानों से सजाया जाता है.

छाता होली

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मगध में होली के अगले दिन बुढ़वा मंगल होली मनाई जाती है.  इस दिन मगध क्षेत्र में लोग होली के एक दिन बाद एक जगह इक्ट्ठा होकर होली के गीत गाते हुए अपनी खुशी का इजहार करते हैं.

बुढ़वा होली

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बिहार के सहरसा में घुमौर होली खेली जाती है. हजारों की संख्या में लोग जुटकर घुमौर होली खेलते हैं. इस दौरान देवी मंदिर के चारों तरफ घूम-घूम के होली खेलने के कारण घूमौर होली कहा जाता है.

घुमौर होली

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मिथिला में कुर्ता फाड़ होली भी काफ़ी लोकप्रिय है. इस दिन लोग एक-दूसरे को होली कपड़े फाड़कर मनाते हैं.

कुर्ता फाड़ होली

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समस्तीपुर के भिरहा गांव में धुलंडी के दिन रंगों की जगह फूलों से होली खेली जाती है.

फूलों की होली

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बिहार के कुछ इलाकों में होलिका की राख से होली खेली जाती है.

राख से होली

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धुरखेल होली, बिहार के भोजपुरी क्षेत्र में मनाई जाती है. इसे धुलंडी, धुरड्डी, धूलिवंदन जैसे नामों से भी जाना जाता है. 

धुरखेल होली

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