सोने की तारों से कपड़ो पर कढ़ाई...जानिए ज़रदोज़ी कला का इतिहास

13 APRIL 2025

Credit: META

सोने की तारों से  कपड़ों पर कढ़ाई करने की कला जरी-जरदोजी कला कहते हैं.

300 सालों पुरानी परशिया में शुरू हुई ये कला बादशाह अकबर के समय भारत आई.

इसमें इतनी बारिकियों से काम होता है कि कई बार 2 घंटे लगने वाले काम 2-4 दिन तक लग जाते हैं.

पहले खाके पर डिजाइन बनाया जाता है, फिर उस डिजाइन को कपड़े पर उतारा जाता है, फिर कारिगर डिजाइन बनाकर कपड़े में जान डाल देते हैं.

लखनऊ अपने बेहतरीन चिकन और ज़रदोज़ी के काम के लिए मशहूर है.

ज़रदोज़ी एक पारंपरिक भारतीय कढ़ाई शैली है जिसमें सोने और चांदी के धागों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे अक्सर कीमती पत्थरों से सजाया जाता है.

यह लखनऊ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक सुंदर प्रतिनिधित्व है. लेकिन 18वीं और 19वीं सदी में सोने के बढ़ते दाम की वजह से ये कला खो सी गई थी.

1947 के बाद शुरू हुई जरदोजी की कमबैक स्टोरी और सोने की तारों की जगह आ गई मैटेलिक वायर और रेशम का तार.

अब तो जरदोजी फैशन के जगत में भी अपन पहचान बना चुका है. vogue जैसी फैशन मैग्जीन उसको फीचर कर चुका है.

राजघरानों के समय में जरदोजी की मदद से सोने और चांदी के धागों से शानदार कपड़ों को सजाया गया.