10 APRIL 2025
Credit: META
आपने अपने आसपास नुक्कड़ नाटक जरूर देखा होगा.लेकिन क्या आप जानते हैं नुक्कड़ नाटक की शुरुआत कैसे हुई.
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भारत में नाटक का इतिहास काफी साल पुराना रहा है. नाटक के जरिए लोग देश के सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक धरोहरों को दर्शाते हैं.
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भारतीय नाटक की जड़ें प्राचीन नाट्य परंपराओं में हैं और समय के साथ विकसित हुई हैं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और सांस्कृतिक प्रथाओं का प्रभाव शामिल हैं.
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आदिम युग में जो लोग शिकार करने जाते, वे शाम को एक घेरा बनाकर एक साथ खाना पकाते और नाच-गाना गाते थे.
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इस दौरान लोग पुरे दिन बीते घटनाओं को नाटक के तौर पर एक्टिंग करते थे.
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आज भी आंध्र प्रदेश में लोकनाट्य परंपरा की एक शैली का नाम की 'वीथि नाटकम' मिलता है और आधुनिक नुक्कड़ नाटक को भी इसी नाम से जाना जाता है.
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मध्यकाल में सही रूप में नुक्कड़ नाटकों से मिलती-जुलती नाट्य-शैली का जन्म और विकास भारत के विभिन्न प्रांतों, क्षेत्रों और बोलियों-भाषाओं में लोक नाटकों के रूप में हुआ.
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पश्चिम में भी चर्च और धार्मिक नाटकों के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन आदि देशों में ऐसे नाटकों का प्रचलन शुरू हुआ जो बाइबल की घटनाओं पर आधारित होते थे और मूलत: धर्म के प्रचार के लिए ही खेले जाते थे.
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ये नाटक भी खुले में, मैदानों और चौराहों और बाजारों में ही मंचित किए जाते थे और दिन की रोशनी में ही, जबकि हमारे यहां नाटक लगभग अपने आरंभ काल से ही ज्यादातर रात में ही खेले जाते थे.
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