27 june 2025
Credit: META AI
आर्द्रा एक नक्षत्र होता है, इस दौरान भगवान इंद्र की पूजा की जाती है.
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यह नक्षत्र बरसात के मौसम में होता है और पूजा इसलिए की जाती है ताकि फसल अच्छी हो सके.
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यहां 15 दिनों तक भगवान इंद्र की पूजा की जाती है. बिहार में आर्द्रा नक्षत्र के साथ ही बारिश का आगमन माना जाता है.
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इस दौरान बिहार के घरों में खीर, दाल की पूरी और सब्जी बनाई जाती है, इसके साथ ही आम भी खाए जाते हैं.
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आर्द्रा नक्षत्र को जीवनदायिनी कहा गया है. आपके आगमन से धरती और किसान दोनों को राहत मिलती है.
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आर्द्रा नक्षत्र शुरू होने के दिन बिहार के मिथिलांचल में खीर, दाल की पूरी जैसे विशेष पकवान बनाने की परंपरा है. इसके साथ ही आम भी खाया जाता है.
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आर्द्रा नक्षत्र हिंदू परंपरा में एक पौराणिक महत्व रखता है क्योंकि यह वर्षा ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है.
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भोजन हमेशा से ही मां प्रकृति से प्रभावित रहा है, इसलिए बिहार में इस विशेष समय के दौरान हमारे देवता को "आर्द्रा नक्षत्र की थाली" चढ़ाने की प्रथा है.
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आर्द्रा का शाब्दिक अर्थ गीला अर्थात नमी होती है. सूर्य के आद्र्रा में प्रवेश से ही मानसून का आगमन हो जाता है.
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