खरीफ सीजन में बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है.
ऐसे वक्त में खेतों में नमी के कारण फसलों में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है.
इस सीजन में पौधों पर कीटों और फफूंद का प्रकोप भी बढ़ जाता है.
सबसे ज्यादा हानिकारक फफूंद रोग बाजरा और अन्य दलहन फसलों पर लगते हैं.
इन हानिकारक फफूंद से आप ट्राईकोडर्मा नामक मित्र फफूंद के जरिए बच सकते हैं.
ट्राईकोडर्मा मिट्टी में रोग उत्पन्न करने वाले हानिकारक कवकों को बढ़ने से रोकता है.
इससे ये हानिकारक कवक फसलों की जड़ों के आस-पास नहीं पनपते.
ट्राइकोडर्मा एक जैविक फफूंद नाशक है, जो बीजों के अंकुरण और पौधों के विकास में सहायक होता है
ट्राइकोडर्मा फंगस मिट्टी में ही मौजूद होती है, जो बीजों में मौजूद पहले से ही फंगस की समस्या को खत्म करके पौधों को बढ़ने में मदद करती है.
लेकिन कई बार मिट्टी में रासायनिक दवाओं के इस्तेमाल से इसके गुण कम हो जाते हैं, जिसके कारण पौधों का संरक्षण करने में समस्या होती है.
मिट्टी के इन्हीं गुणों को वापस लौटाने के लिये बाजार में भी ट्राइकोडर्मा आसानी से मिल जाता है.
इसका इस्तेमाल बीज उपचार दवा से लेकर, पौध संरक्षण और जैविक रोग नाशक दवा के रूप में भी किया जाता है.