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लंपी वायरस का अलर्ट! गाय-भैंसों में दिखें ये लक्षण तो तुरंत ऐसे करें बचाव

26 June 2023

By: Aajtak.in

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साल 2022 में लंपी वायरस से देशभर में लाखों पशुओं की मौत हो गई. अब फिर से ये बीमारी कई राज्यों में अपना सिर उठाने लगी है. 

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मेघालय में लम्पी वायरस से 100 से अधिक गायों की मौत हो गई है. वहीं से अधिक के संक्रमित होने की खबर आ रही है.

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लंपी एक त्वचा रोग है जो वायरस से फैलता है और गाय-भैंसों में प्रमुखता से असर करता है. यह वीषाणु जनित संक्रामक रोग है.

पशुओं में यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है और इसके लिए वह खास माध्यम का सहारा लेता है. 

अगर कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके शरीर पर परजीवी कीट, किलनी, मच्छर, मक्खियों से और दूषित जल, दूषित भोजन और लार के संपर्क में आने से यह रोग अन्य पशुओं में भी फैल सकता है.

लंपी वायरस से संक्रमित पशु को हलका बुखार रहता है. मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है. पशुओं के लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन रहती है.

संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है. वहीं, गर्भित पशु में गर्भपात का खतरा रहता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है.

पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेमी आकार की कठोर गठानें बन जाती हैं.

अगर समय रहते लंपी वायरस के लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो पशुओं का बचाव आसानी से किया जा सकता है.

जो पशु संक्रमित हो उसे स्वस्थ पशुओं के झुंड से अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले.

कीटनाशक और बिषाणुनाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किल्ली, मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट कर दें. पशुओं के रहने वाले बाड़े की साफ-सफाई रखें.

जिस क्षेत्र में लंपी वायरस का संक्रमण फैला है, उस क्षेत्र में स्वस्थ पशुओं की आवाजाही रोकी जानी चाहिए.

किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. 

 पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगनी चाहिए. स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न लगे.