30 June 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
हमारे देश की बड़ी आबादी पशुपालन से जुड़े हुए हैं. बारिश शुरू होते ही पशुओं को कई संक्रमित रोग होने का डर रहता है.
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पशु अगर बीमार हो जाए तो उसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है.
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लेकिन समय रहते अगर जरूरी कदम उठा लिया जाए तो पशु बीमार होने से बच जाएंगे और आर्थिक नुकसान भी नहीं होगा.
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जून-जुलाई से मानसून शुरू हो जाता है. ऐसे में सबसे पहले पशुओं के बाड़े को सूखा और साफ रखने का इंतजाम कर लें.
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बारिश की वजह से गर्मी और नमी वाली संक्रमित बीमारी, परजीवी और बाहरी परजीवी का प्रभाव बहुत ज्यादा हो जाता है.
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इस मौसम में पशुपालकों को प्रजनन संबंधी सुरक्षा की पूरी जानकारी होनी चाहिए. गाभिन गाय-भैंस को अलग साफ हवादार सूखे स्थान पर रखें.
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पशु चिकित्सक की सलाह पर दूध उत्पादन के लिए जरूरी मात्रा में मिनरल मिक्चर दें.
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हरे चारे के खेतों में जानवरों को नहीं जाने दें. खासतौर से ज्वार के खेत में बिल्कुल ना जाने दें.
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गर्मी के बाद अचानक से बारिश से हरे चारे में साइनाइड जहर पैदा होने लगता है. ऐसी फसल को कच्ची अवस्था में न काटें और ना ही पशुओं को खिलाएं.
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पशु आहार के लिए मक्का, बाजरा, लोबिया और ज्वार की एक साथ बोआई करें, जिससे आगे पशुओं के लिए हरे चारे की कमी ना हो.
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