भारत में पाई जाने वाली देसी नस्ल की गायों का डेरी उद्योग में विशेष योगदान माना जाता है.
उन्हीं देसी गायों में से एक अमृत महल गाय भी है. इसमें अमृत का अर्थ है दूध और महल का अर्थ है घर.
दूध उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस नस्ल को दक्षिणी भारत की भारवाहक नस्ल से विकसित किया गया था.
अमृत महल नस्ल की गायें लगभग 50 महीने में पहली ब्यान्त की होती हैं.
इस नस्ल की गायें एक ब्यान्त में लगभग 550-600 लीटर दूध देती हैं.
ये गाय सफेद, काले और स्लेटी रंग की होती हैं. कान बाहर की ओर सीधे होते हैं.
इनके कुछ मवेशियों के चेहरे पर सफेद भूरे निशान मौजूद होते हैं और शरीर बहुत सुडौल होता है.