छत्तीसगढ़ सरकार अपने राज्य के पशुपालकों से गौमूत्र भी खरीदती है.
इसके लिए पशुपालको प्रति लीटर गौमूत्र पर 4 रुपये दिए जाते हैं.
गोधन न्याय मिशन योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूह गौमूत्र से जीवामृत और कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार कराया जाता है.
इसके लिए सरकार की तरफ से महिलाओं को समय-समय ट्रेनिंग भी दिया जाता है.
बता दें कि गौमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीस, कार्बोलिक एसिड़ जैसे तत्व पाए जाते हैं.
ये सारे तत्व फसलों के बेहतर विकास के लिए काफी जरूरी होते हैं.
गौमूत्र का इस्तेमाल बीजों के उपचार करने के लिए भी किया जा सकता है. इससे फसलों में बीज जनित रोग कम होने की संभावनाएं रहती हैं.
रासायनिक कीटनाशकों की जगह गौमूत्र से बने जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इससे जमीन की उर्वरकता को नुकसान नहीं होगा और फसलों को खराब करने वाले कीड़े भी दूर रहेंगे.
फसलों को फंगी से बचाने के लिए इनपर गौमूत्र का छिड़काव करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
गौमूत्र से जीवामृत और बीजामृत भी बनाया जाता है. जो बीजों के उपचार और फसलों के लिए काफी अच्छा माना जाता है.