देश में केज फार्मिंग पहले से चल रही है, लेकिन अब इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा.
नई योजना के मुताबिक बड़े-बड़े पिंजरों में मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि इससे जुड़े किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके.
केज फार्मिंग में किसान सिंथेटिक नेट से बने पिंजरों में मछली पालन करते हैं.
इसमें बड़े तालाब, झील और नदियों का इस्तेमाल किया जाता है. पिंजरे एक वर्ग मीटर से 500 वर्ग मीटर तक हो सकते हैं.
तालाब या झील की तुलना में केज में मछलियों का विकास तेजी से होता है.
इसमें मछलियां स्वस्थ और सुरक्षित रहती हैं. मछलियों को खिलाना भी आसान होता है.