24 Dec 2024
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भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां एक बड़ा वर्ग खेती-किसानी से अपना जीवन यापन करते हैं.
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वहीं, केले की खेती से किसान काफी ज्यादा मुनाफा कमाते हैं. लेकिन अक्टूबर-नवंबर के महीने में केले के फलों में रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाता है.
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इन दो महीनों में केले के फल में पीला सिगाटोका रोग, काला सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग का खतरा बना रहता है. जो फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है.
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इस रोग के फल में लगने के कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आज हम आपको इस रोग से फसलों को बचाने के उपाय बता रहे हैं.
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क्या है इन रोगों के लक्षण
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इस रोग के कारण केले के नए पत्ते के ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाईन के रूप में दिखता है. बाद में ये धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं, जिनका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है. इस रोग के लगने से फलों के उत्पादन पर असर पड़ता है.
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इस रोग के कारण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा, धारीदार लाईन के रूप में होता है. ये बारिश के दिनों में अधिक तापमान होने के कारण फैलता है और इसके प्रभाव से केले पकने से पहले ही पक जाते हैं, जिसके कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है.
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अचानक पूरे पौधे का सूखना या नीचे के हिस्से की पत्ती का सूखना इस रोग का प्रमुख लक्षण है. इस रोग के लगने पर पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती हैं, जो बाद में मुरझा कर सूख जाती हैं. उसके बाद तने सड़ जाते हैं और अंदर से सड़ी मछली की दुर्गंध आती है.
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इस बीमारी से केले को बचाने के लिए सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग से बचाव के लिए प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं. इसके साथ ही खेत में खरपतवार न होने दें.. खेत से अधिक पानी जमा न होने दें और 1 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडे को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला दें
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काला सिगाटोका रोग से बचाव के लिए रासायनिक फफूंदनाशक कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
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पनामा रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम डब्लू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल बनाकर छिड़काव करें. केले की पत्तियां चिकनी होती हैं. ऐसे में घोल में स्टीकर मिला देना लाभदायक होता है.
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अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर या अपने जिले के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से सम्पर्क कर सकते हैं.
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