अफारा रोग पशुओं में अचानक होने वाली बीमारी है.
यह रोग पशुओं में ज्यादा खाने या दूषित खाने के कारण होता है.
इस रोग में पशु के पेट में एसिडिटी अमोनिया, कार्बनडाई ऑक्साइड, मीथेन जैसी दूषित गैस बन जाती हैं.
इससे पशु बेचैन होकर बैठ जाता है या एक साइड लेट जाता है.
पैर पटकने लगता है. अगर इस अवस्था में तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो पशु कुछ घंटों में मर भी जाता है.
पशु को सांस लेने में कठिनाई होती है. जुगाली करना बंद कर देता है. पशु खाना और पानी पीना बंद भी बंद कर देता है.
पशुपालक पशु को इस तरह की बीमारी से वक्त रहते बचा सकता है. अगर आप वह कुछ सावधानियां.
चारा भूसा आदि खिलने से पहले पानी पिलाएं. प्रतिदिन पशु को कुछ देर खुला चरने दें.
पशुओं को दूषित चारा, दाना भूसा और पानी न दें। हरा चारा जैसे बरसीम ज्वार रजका बाजरा काटने के बाद कुछ समय पड़ा रहने दें उसके बाद खिलाएं.
पशु को लगातार भोजन ना दें. कम से कम 20 मिनट का अन्तराल जरूर दें.
हरा चारा पूरी तरह पकने के बाद ही खिलाएं. अचानक पशु के खानपान में परिवर्तन नहीं करें.